वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी ने वैश्विक शेयर बाजारों में भूचाल ला दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन सहित कई देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद, दुनिया भर के स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली है। बीते कुछ दिनों में वैश्विक बाजारों से करीब 6 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 500 लाख करोड़ रुपये) की वैल्यू मिट चुकी है।
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ रणनीति ने अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को और तेज कर दिया है, जिससे निवेशकों में घबराहट फैल गई है। एशियाई, यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
"दर्द जरूरी है, फायदा होगा" – ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस आर्थिक गिरावट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह बाजार में गिरावट उस दवा की तरह है, जिसका असर अभी कड़वा जरूर लग रहा है, लेकिन लंबे समय में यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा।" उनका मानना है कि टैरिफ्स से घरेलू उद्योगों को सुरक्षा मिलेगी और चीन जैसे देशों की अनुचित व्यापार नीतियों पर लगाम लगेगी।
विश्लेषकों की चेतावनी
वहीं, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति शॉर्ट टर्म में काफी नुकसानदायक साबित हो सकती है। वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ने से मंदी जैसे हालात बन सकते हैं। अमेरिका और चीन दोनों को ही इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है।
भारतीय बाजार भी चपेट में
भारतीय शेयर बाजारों में भी गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स और निफ्टी में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, जबकि विदेशी निवेशकों ने बाजार से पूंजी निकालनी शुरू कर दी है। उद्योग जगत और निवेशक सरकार से स्पष्ट रणनीति की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक बाजारों को गहरी चिंता में डाल दिया है। अब देखना यह होगा कि यह 'कड़वी दवा' वाकई में लंबे समय में 'स्वस्थ अर्थव्यवस्था' का इलाज बन पाएगी या नहीं।