पुलिस की एक हालिया जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है – बाल यौन शोषण सामग्री अब केवल पारंपरिक माध्यमों से नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके भी तैयार की जा रही है।
एक मामले में जब पुलिस ने एक संदिग्ध के कंप्यूटर की तलाशी ली, तो उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें मैलवेयर या साइबर क्राइम से जुड़ा कोई सुराग मिलेगा। लेकिन जो मिला, वह कहीं अधिक भयावह था – एआई जनरेटेड चाइल्ड एब्यूज मटेरियल।
तकनीकी प्रगति के साथ-साथ अपराधियों के हथकंडे भी खतरनाक रूप से विकसित हो रहे हैं। अब वे AI टूल्स की मदद से फर्जी बाल यौन शोषण की तस्वीरें और वीडियो बना रहे हैं, जिन्हें पहचानना और रोकना कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती बन चुका है।
साइबर अपराध में एआई का नया चेहरा
विशेषज्ञों का कहना है कि कई पॉपुलर AI वेबसाइट्स का इस्तेमाल गलत इरादों से किया जा रहा है। कुछ मामलों में देखा गया है कि संदिग्धों ने टेक्स्ट से इमेज बनाने वाले टूल्स का इस्तेमाल कर ऐसी सामग्री तैयार की, जो वास्तविक प्रतीत होती है लेकिन वह पूरी तरह से डिजिटली बनाई गई होती है।
कानूनी दायरे में उलझन
AI से बनी ऐसी छवियां भले ही फर्जी हों, लेकिन उनका उद्देश्य बाल शोषण को बढ़ावा देना है। वर्तमान कानून इन मामलों में स्पष्ट नहीं है कि AI द्वारा बनाई गई अश्लील सामग्री को किस हद तक अवैध माना जाए, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियां उलझन में हैं।
सख्त कानून और तकनीकी सहयोग की जरूरत
इस खतरे को देखते हुए विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि सरकारें और तकनीकी कंपनियां मिलकर सख्त नियम बनाएं और एआई टूल्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार करें।
पुलिस की चेतावनी
पुलिस अधिकारियों ने अभिभावकों को आगाह किया है कि वे बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें और तकनीकी उपकरणों के प्रयोग को लेकर सतर्क रहें।
यह मामला इस बात की गवाही है कि डिजिटल युग में बाल सुरक्षा केवल एक सामाजिक मुद्दा नहीं, बल्कि तकनीकी और कानूनी चुनौती बन चुका है।