वाशिंगटन – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस और व्लादिमीर पुतिन के प्रति झुकाव अब एक नए स्तर पर पहुंच गया है। हालिया बयानों और संकेतों से यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप अब पुतिन को न केवल एक ‘शांति-दूत’ मानते हैं, बल्कि उनकी रणनीतिक सोच को अमेरिका की सुरक्षा नीति में प्राथमिकता देने को भी तैयार हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रूस के प्रति ट्रंप की लगातार बढ़ती सहानुभूति और पुतिन की छवि को एक विश्व नेता और समाधानकर्ता के रूप में प्रस्तुत करना, यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं पुतिन का प्रभाव ट्रंप की विदेश नीति की सोच पर गहराई से पड़ चुका है।
कुछ विशेषज्ञों ने यहां तक कहा है कि पुतिन अब ट्रंप के ‘डि-फैक्टो’ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की तरह व्यवहार कर रहे हैं। ट्रंप के भाषणों में जिस तरह अमेरिका की पारंपरिक रणनीतिक नीतियों की उपेक्षा कर, पुतिन के दृष्टिकोण को समर्थन मिल रहा है, वह एक चिंताजनक संकेत है – खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक मंच पर रूस की नीतियां खुद विवादों में हैं।
यह पहला अवसर नहीं है जब ट्रंप ने पुतिन की तारीफ की हो, लेकिन इस बार उन्होंने जिस स्तर पर रूस के राष्ट्रपति की भूमिका को शांति-स्थापना में निर्णायक बताया, उसने राजनीतिक हलकों में नए सिरे से बहस को जन्म दे दिया है।
क्या ट्रंप की यह सोच अमेरिका की विदेश नीति को एक खतरनाक मोड़ पर ले जाएगी?
विश्लेषकों के अनुसार, यदि ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं और उन्होंने पुतिन के प्रभाव में रहकर नीतियाँ तय कीं, तो अमेरिका की वैश्विक स्थिति और उसके सहयोगी देशों के साथ संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
राजनीतिक समीक्षकों का यह भी कहना है कि ट्रंप की यह ‘रूसी मोहभंग’ केवल कूटनीति नहीं, बल्कि अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी चुनौती बन सकती है।