काहिरा/रोम।
गिज़ा के विश्वप्रसिद्ध पिरामिडों के नीचे एक प्राचीन शहर दफन होने की संभावना ने पुरातत्व जगत में सनसनी फैला दी है। इटली और स्कॉटलैंड के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसे प्रमाण प्राप्त किए हैं जो इस चौंकाने वाले सिद्धांत की पुष्टि कर सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ पिसा (University of Pisa) और यूनिवर्सिटी ऑफ स्ट्रैथक्लाइड (University of Strathclyde) की एक टीम ने ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार तकनीक के माध्यम से गिज़ा पिरामिड क्षेत्र के नीचे लगभग 2 किलोमीटर लंबी भूमिगत संरचनाओं का संकेत पाया है। उनका कहना है कि ये नेटवर्क विशाल कमरों और गलियारों से बना हुआ हो सकता है — जो किसी छिपे हुए शहर की ओर इशारा करता है।
शोधकर्ताओं ने 2022 में ही इस बात की ओर इशारा किया था कि ग्रेट पिरामिड के भीतर की संरचना कुछ और रहस्य छुपा रही है। अब उन्होंने दावा किया है कि उनके नवीनतम अध्ययन से पिरामिडों के नीचे विशाल वर्टिकल शाफ्ट (लंबवत सुरंगें) और हॉल पाए गए हैं।
हालांकि, यह दावा प्रामाणिक इतिहास और मिस्र की पारंपरिक पुरातत्व पर आधारित समझ के विपरीत है। मिस्र के पूर्व पुरातत्व मंत्री डॉ. ज़ाही हवास (Dr. Zahi Hawass) ने इस शोध को सिरे से खारिज करते हुए कहा है, “यह सब बकवास है।” उनके अनुसार पिरामिडों से जुड़ा हर तथ्य दस्तावेज़ी और भौतिक प्रमाणों पर आधारित है, न कि काल्पनिक धारणाओं पर।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर मिस्र से जुड़े रहस्यों पर पिछले कुछ वर्षों में भारी उत्साह देखा गया है। अमेरिका के मशहूर पॉडकास्ट होस्ट जो रोगन ने भी इस विषय पर चर्चा करते हुए एलियंस और अटलांटिस जैसी थ्योरीज़ को हवा दी है।
हालांकि शोधकर्ताओं का यह दावा वैज्ञानिक आधारों पर टिका होने का दावा करता है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए अभी और खुदाई, विश्लेषण और पुरातात्विक प्रमाणों की आवश्यकता है।
यदि यह सिद्धांत सच साबित होता है, तो यह आधुनिक पुरातत्व की सबसे बड़ी खोजों में से एक हो सकती है — जो मानव सभ्यता के इतिहास को पूरी तरह से नए दृष्टिकोण से समझने का अवसर प्रदान करेगी।